अमरीका के पूर्व राष्ट्रप्रमुख जहोन केनेडी का एक विश्व
प्रसिद्ध वाक्य हे – “ यह न पूछो की देश ने तुम्हारे लिए क्या किया ? बल्की,यह बताओ की देश के लिए
तुम क्या कर शकते हो ?” १५वि अगष्ट और २६ जनवरी के दिन
अचानक हमारा राष्ट्रप्रेम उभर आता हे.फेसबुक एवं वोट्सएप पर देशप्रेम से उभरती
पोस्ट्स की बौछार नजर आती हे. ध्वजवंदन करने जाते हे या नहीं जाते ये अलग बात हे,
लेकिन उसके फोटोग्राफ्स सोशियल मिडिया में पोस्ट करके हम अपने राष्ट्रप्रेमी होने
का संतोष जरुर जता लेते हे, और फिर अपने हर रोज के कामकाज में उलज जाते हे. थेंक्स
टू सोशियल मिडिया की हम साल में कमसे कम दो बार देश को याद कर लेते हे फिर चाहे
दिखावे के लिए ही क्यूँ न हो. वास्तव में हम सब ऐसा ही मानते हे की में तो परम
देशभक्त हूँ, अपने देश को वफादार भी हूँ, अभी ऐसा भी कोई प्रश्न नहीं की हमें देश
के लिए शहीद होना पड़े या सरहद पर लड़ने जाना पड़े, में शांति से अपनी रोजीरोटी कमा
रहा हूँ,परिवार का गुजरान कर रहा हूँ,इसके अलावा में देश के लिए ओर कर भी क्या
शकता हूँ ?
प्रथम दृष्टी से यह तर्क सही लगता हे, की में देश के क्या
कर शकता हूँ ? लेकिन वास्तविकता यह हे की आज देश के लिए मरनेकी या सरहद पर जाकर
लड़ने की जरुरत नहीं, किन्तु देश को उपयोगी बनने की प्रबल इच्छाशक्ति अगर हमारे
अंदर हे तो हम जहां भी रहे वहां पर हमारे दैनंदिन जीवन में थोड़ी सतर्कता के साथ
छोटे-छोटे कार्यो के द्वारा भी हम देश के विकास में सहयोगी बन शकते हे. देश के
सर्वांगीण विकास,प्रगति,सुख-सुविधा एवंम जनता की सुखाकारी के लिए जितनी जिम्मेवारी
सरकार और तंत्र की हे उतनी ही जिम्मेवारी देश के नागरिकोंकी भी हे. किसी भी घटना
में दोष का टोपला सरकार या तंत्र पर डाल देने की हमें एक आदत सी हो गई हे. कहीं
गंदगी हे तो सरकार जिम्मेवार,ट्राफिक की समस्या तो सरकार जिम्मेवार,पानी की तंगी
तो सरकार जिम्मेवार,भ्रष्टाचार हुआ तो भी सरकार जिम्मेवार,इस तरह हर बात पर सरकार
पर दोषारोपण करके हमने खुद की जिम्मेवारी से छुटकारा पाने का आसान तरीका ढूंढ लिया
हे.
हाल ही में पेट्रोल व डीज़ल के दामों में हुई बढौती का सबके
लिए पीड़ादायक होना स्वाभाविक हे. वास्तव में उसके पीछे वैश्विक परिस्थितियां
जिम्मेवार हे. सरकार अपनी ओर से जो भी हो शकता हे वो कर रही हे और करना भी
चाहिए,किन्तुं हमने इस मसले पर सरकार को गालियां देने के अलावा ओर क्या किया ?
क्या हमने सप्ताह में एकबार वाहनों का इस्तमाल बंध करके पब्लिक ट्रांसपोर्ट से
जाना शुरू किया ? क्या हमने वाहनों का बिना वजह का इस्तमाल टाला ? क्या हमनें जहां
संभव हो शके वहां पर साईकिल का विकल्प अपनाया ? तो हम सबका जवाब हे ना. आज विश्व
के अनेक देशों के लोगों ने अपनी मरजी से ‘वन डे – नो कार’ का नियम अपनाया हे. साईकिल
का उपयोग बढाया हे,इन सब चीजों के अनेक फायदे हे.पैसे की बचत होती हे.स्वास्थ्य के
लिए भी अच्छा हे,देश के विदेशी मुद्रा भंडार में भी बचत होती हे,आयात कम होने से
देश का अर्थतंत्र भी मजबूत बनता हे.इस प्रकार से भी हम देश को उपयोगी बन शकते हे.
हर बात पर सरकार और तंत्र को गालियां देने के बजाय हम देश
के लिए क्या कर शकते हे ? यह सोचकर,दूसरो को सलाह देने के बजाय हम हमारे दैनंदिन
जीवन में छोटी छोटी बातोँ में सावधानी बरतकर भी देश को उपयोगी हो शकते हे.
जैसे की,यहाँ – वहां कचरा कूड़ा नहीं
फैंकना,घर-महोल्ला,बस-ट्रेन व सार्वजनिक स्थानों पर गंदगी नहीं करना यह भी देश के
लिए किया गया कार्य हे.ट्रेफिक के नियमोंका पालन करना, न रिश्वत लेना और नाहीं कभी
रिश्वत देना,ज्ञातिवाद व जातिवाद की बजाय राष्ट्रवाद को प्रोत्साहित
करना,सरकारीतंत्र के काम में बाधा नहीं डालना,राष्ट्रिय संपति का ख्याल
रखना,करचोरी न करना,सरकारी योजनाओं का गलत फायदा नहीं लेना,कामचोरी न करना यह भी
तो देशसेवा ही हे.
किसी गरीब के आंसू पौछ्ना,जरुरतमंद छात्रों को मदद
करना,बिमारग्रस्त लाचार गरीबों को सहाय करना,बेटियों को पढाना,स्त्रीयों का आदर
करना,यह भी देशसेवा हे.पशु-पक्षी,नदियाँ,पर्वत व जंगलों का रक्षण करना,प्रदुषण
रोकना,प्लास्टिक के कचरों का सही निकाल करना,देशहित के लिए कार्यरत सभी लोगों को
सहकार देना,यह भी देशकार्य हे.
उद्योगपति व व्यापारी भी उचित मुनाफे के साथ,किसीका भी शोषण
किये बगैर रोजगारी के अवसर देतें रहे,समृध्धि बांटते रहे और प्रामाणिकता से
व्यापार करे,कामदार वर्ग भी पूर्ण वफ़ादारी के साथ अपना कार्य करते रहे,प्राध्यापक व
शिक्षक भी समर्पण भाव से पढ़ायें,अधिकारी गण भी प्रामाणिकता के साथ जनसेवा ही
प्रभुसेवा का मंत्र अपनाकर अपना दायित्व निभातें रहे,राजकारणी व नेतागण भी पूर्ण
निष्ठा और प्रामाणिकता के साथ जनकल्याणकारी कार्य करते रहे,सुरक्षाकर्मी भी
राष्ट्रप्रथम की भावना के साथ अपनी जिम्मेवारी निभाएं,न्यायतंत्र से जुड़े लोग भी
संविधान के प्रति वफादार रहेकर निष्पक्षभाव से कार्य करते रहे,तो यह भी देशसेवा
हे.
आज भी देश में ऐसे हजारों लोग हे जो अपने अपने
कार्यक्षेत्रों में पूर्ण निष्ठा व प्रामाणिकता के साथ देश को वफादार रहेके अपना
दायित्व निभाते रहते हे.ऐसे लोगों की वजह से ही हमारा देश टिका हुआ हे,आगे बढ़ा हे
और आगे बढ़ता रहेगा.
देश के लिए कुछ करने की भावना हरएक देशवासिओं में होती ही
हे,लेकिन कभी परिस्थितियों के कारण,समय के अभाव के कारण,कभी उचित वैचारिक वातावरण
के अभाव की वजह से उसके ऊपर धुल चढ़ जाती हे.किन्तु देश के प्रति पूर्ण समर्पित ऐसे
कोई प्रगाढ़ देशप्रेमी की चिंगारी के स्पर्श मात्र से यह सुषुप्त देशप्रेम फिर से
जाग उठता हे. गांधीजी,सरदार पटेल,सुभाषचंद्र बोज़,लाल बहादुर
शास्त्री,डॉ.हेडगेवार,डॉ.श्यामाप्रसाद मुखर्जी,पंडित दीनदयाल उपाध्याय,अटलबिहारी
वाजपेयी आदि जैसे देश के प्रति पूर्ण समर्पित लोक्नेताओं के देशप्रेम की चिंगारी
के स्पर्श ने हजारों लोगों की देशप्रेम की आग को प्रज्ज्वलित कर दिया था.ऐसे विराट
व्यक्तिओं के जीवन-कवन से प्रेरणा लेके हम भी अपनी देशभक्ति की चिंगारी को फिरसे
प्रज्जवलित करके राष्ट्रसेवा के यज्ञ में अपनी आहुति देकर राष्ट्रनिर्माण के कार्य
में सहभागी बनें यहीं अभ्यर्थना के साथ – भारत माता की जय – वंदेमातरम्
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