ગુરુવાર, 27 સપ્ટેમ્બર, 2018

शहरोँ में बसते और देश के लिए खतरा रूप ऐसे अर्बन नक्सलवादीयों को पहेचाने

विडियो देखें


नक्सलवाद शब्द सुनते ही सामान्यतः हमारे मनमें जंगलो में हाथमे बंदूकें लिए घुमते पिछड़े लोगों का चित्र नजर आता हे. लेकिन यहाँ पर बात करनी हे अर्बन नक्सलवादियों की,यानीं की शहरोँ में बसते नक्सलियों की. पिछलें कुछ समय से यह शब्द बहुत प्रचलित हुआ हे. हालही में प्रधानमंत्री की हत्या की साजिश के आरोप में अर्बन नक्सलवादियों को गिरफतार किया गया.आज हम यह समजने की कोशिष करते हे की वास्तव में यह अर्बन नक्सलवाद क्या हे ?

अर्बन नक्सलवाद के बारे में समजने से पहले, हम नक्सलवाद के बारे में थोड़ी प्राथमिक जानकारी लेते हे. इस प्रवृति की शुरुआत उतर बंगाल के नक्सलबाड़ी तहसील से हुई इसलिए इसको नक्सलवाद नाम दिया गया हे.१९६७में मार्क्सवादी पक्ष के कनु सन्याल और चारू मजुमदार ने जमींदारों के ज़ुल्म के सामने खेत मजदुरों और किरायेदारों के सशस्त्र आन्दोलन की अगुवाई ली,बाद में उनकी गिरफ्तारी हुई,जेल गए और मृत्यु हुई.जहां से इस नक्सलवाद की शुरुआत हुई वहां पर आज ऐसी कोई प्रवृति नहीं चल रही.किन्तुं मार्क्सवादी पक्ष के नेता युवाओं ने इसके बाद अलग अलग आदिवासी विस्तारों में जाकर उनकी समस्याओं में मददरूप होने की बजाय उनको सरकार और देश के विरुध्ध भड़काने का कम शुरू किया और नए नए गुठों का निर्माण किया.जिसे हम माओवाद भी कहते हे.

देश को आज जितना खतरा जिहादी आतंकवाद से नहीं हे उससे कई गुना ज्यादा खतरा नक्सली आतंकवाद से हे.अमरीका के अधिकृत आंकड़ों के मुताबिक इस्लामिक स्टेट्स (आइ.एस.) और तालिबान के बाद तीसरे नंबर का सबसे ज्यादा खतरनाक हिंसक संगठन नक्सलवादियों का हे.आज नक्सली आतंक बंगाल से भी ज्यादा तेलंगाना,छतीसगढ़,ज़ारखंड,उड़ीसा,आंध्रप्रदेश,महाराष्ट्र और कर्नाटका के कुछ विस्तारों में फैला हुआ हे.

अबतक बहोत कम लोगों को यह जानकारी थी की नक्सलवादी सिर्फ जंगलों में नहीं रहेते बल्की शहरोँ में हमारे बिच भी रहते हे.यह शहरी नक्सली आमतौर पर मानव अधिकार कार्यकर्ता,सामाजिक कार्यकर,प्रोफ़ेसर,शिक्षक,पत्रकार,फिल्म निर्माता,अर्थशास्त्री जैसे अलग अलग स्वांग में देखने को मिलते हे.अर्बन नक्सली बहोत सोफेस्टिकेटेड दिखते हे,बहोत अच्छा अंग्रजी भी बोल लेते हे और समाजजीवन में अपनी पहचान बुध्धिजीवी के रूप में बनाये रखते हे.खास करके युवावर्ग और तथाकथित आधुनिकतावादी लोग इनके सॉफ्ट टारगेट रहते हे.अपनी वाक्पटुता और पहली नजर में सच दिखे ऐसे तर्क द्वारा यह लोग सरकार और शासनव्यवस्था के सामने लोगों को भड़काने का कार्य निरंतर करते रहते हे.यह लोग प्रत्यक्ष परोक्ष रूप से मार्क्सवाद के साथ जुड़े होते हे.नियोजित तरीके से चल रही अंडरग्राउंड व्यवस्थाओं का हिस्सा बनकर यह लोग नियमित रूप से एक दुसरे के संपर्क में रहकर अपनी कार्ययोजनाएं बनाते रहते हे.अर्बन नक्सलवादियों द्वारा कई एनजीओ का संचालन हो रहा हे.यह एनजीओ को अलग अलग आतंकवादी गुठों और देश विरोधी विदेशी संस्थाओ की ओर से फंडिंग मिलता रहता हे.इस फंड का उपयोग देश तोड़ने की प्रवृतियों में करते रहते हे.यह अर्बन नक्सली जंगल में रहते अपने साथी नक्सलीओं को क़ानूनी दावपेच और इमानदार अफसरों को फ़साने की ट्रेनिंग भी देने जाते रहते हे.अपने घरों पर नकली हमले करवाना,बलात्कार के जुठे आरोप लगवाना,फर्जी केस करना,पीआईएल करवाना,समाचारपत्रों में सरकार विरुध्ध आर्टिकल लिखना, एसी सभी चीजों में यह लोग माहिर होते हे.युवाओं में असंतोष जगाना,किशान,मजदुर और दलितों को भड़काना, इन सभी चीजों द्वारा सरकार विरुध्ध असंतोष का माहौल बनाने की कोशिष करते रहते हे.ज्ञाति-जाती के बिच वैमनस्यता पैदा करना,लोगों को पुलिस और जवानो के सामने भड़काना,धर्म के प्रति लोगों की श्रध्धा को डगमगा देना,सरकारी तंत्र के सामने गलत आक्षेपों द्वारा उनके मनोबल को तोड़ना,अमीर और मध्यम वर्ग के सामने गरीबो को भड़काना इत्यादि जैसे कार्यो द्वारा यह अर्बन नक्सली हमारे देश की संस्कृति और लोकशाही को ख़त्म करने के कारनामे करते रहते हे.

यह अर्बन नक्सलवादियों का अंतिम ध्येय क्या हे ? यह सवाल सबके मन में होना स्वाभाविक हे.भारतीय गणतंत्र का विभाजन करके,देश को टुकड़ों में बाँटकर छोटे छोटे साम्यवादी देशों की रचना करना और माओवादी चीन जैसे कम्युनिस्ट शासन की स्थापना करना यहीं उनका मुख्य उदेश्य हे.यही वामपंथीओंने आज़ादी पहेले भारत के बटवारे का पूर्णतया समर्थन करके देश के ३० टुकड़े करने की सिफ़ारिश भी की थी.आज भी यह वामपंथी विचारधारा से जुड़े लोग वाणी स्वातंत्र्य के नाम पर अलगाववादी संगठनों का साथ दे रहे हे.

इधर यह भी समजना जरुरी हे की सिर्फ संघ,भाजपा और नरेन्द्र मोदी इन नक्सलवादीओं के दुश्मन नहीं हे, किन्तु यह लोग भारत के भी दुश्मन हे.दिल्ही में बैठी हर सरकार इनकी दुश्मन हे.बहोत दुःख की बात हे की जीन अर्बन नक्सलीओं की कांग्रेस शासनमे गिरफ़्तारी हुई थी इन्ही लोगों के समर्थन में आज पूरी कांग्रेस पार्टी उतर आई हे.सिर्फ और सिर्फ मोदी सरकार के विरोध के खातिर देश के दुश्मनों को साथ देना कितना उचित हे ? एक राजकीय पक्ष के नाते सतापक्ष का विरोध करना आपका अधिकार हे किन्तुं सता के लिए इतनी हद तक गिरना की देश विरोधी तत्वों को साथ देने में भी आपको कोई हिचकिचाहट नहीं ? यह भूल अक्षम्य हे.सच्चा भारतीय एसी भूल कभी माफ़ नहीं कर शकता.सब देशवासियों ने ऐसे देश विरोधी राजकीय पार्टी को पहेचान लेना बहोत जरुरी हे.देश के फिरसे टुकड़े हो इसलिए सभी राजकीय दावपेच छोड़कर सभी राजकीय पार्टियाँ एक साथ मिलकर देश विरोधी तत्वों को ख़तम करने हेतु कटिबध्ध बने,ऐसे अर्बन नक्सलीओं को पहचानकर उनका सामाजिक बहिष्कार करे और लोगों में देश के प्रति जागरूकता बढ़ें एसे प्रयत्न करएक भारतश्रेष्ठ भारतके सपने को साकार करने में आप सब भी सहयोगी बने इसी प्रार्थना के साथभारत माता की जयवंदेमातरम्

ટિપ્પણીઓ નથી: